


संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर एक साल तक चलने वाले विशेष कार्यक्रमों और पहलों का आयोजन करेगा। यह शताब्दी वर्ष उत्सव 1 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर 1 अक्टूबर 2026 तक चलेगा। यह फैसला हाल ही में यूपीएससी अध्यक्ष अजय कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
शताब्दी वर्ष के दौरान यूपीएसएसी एक स्मारक लोगो और टैगलाइन जारी करेगा, साथ ही कई नई पहल और सुधार भी शुरू करेगा। आयोग ने अपने कर्मचारियों से सुझाव भी मांगे हैं, ताकि उन्हें इस उत्सव में सक्रिय भागीदार बनाया जा सके। कई मूल्यवान सुझावों पर पहले ही विचार किया जा रहा है। अजय कुमार ने कहा कि यूपीएसी अपनी स्थापना से ही पारदर्शिता, निष्पक्षता और मेरिट-आधारित चयन का प्रतीक रहा है, जिसने कड़े और निष्पक्ष प्रक्रिया के जरिए वरिष्ठ सरकारी पदों के लिए सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल जश्न का अवसर नहीं है, बल्कि आत्ममंथन, नवाचार और अगले 100 वर्षों के लिए विजन तय करने का समय भी है।
गौरतलब है कि भारत में लोक सेवा आयोग की स्थापना 1 अक्टूबर 1926 को भारत सरकार अधिनियम, 1919 के प्रावधानों और ली आयोग (1924) की सिफारिशों के आधार पर हुई थी। 1937 में इसका नाम फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन रखा गया और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने पर इसे संघ लोक सेवा आयोग नाम दिया गया।
संविधान के अनुच्छेद 320 के तहत यूपीएससी को सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्त से जुड़े सभी मामलों में परामर्श अनिवार्य है। आयोग का मुख्य काम संघ सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करना, चयन साक्षात्कार के जरिए सीधी भर्ती करना, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति या अवशोषण के जरिए अधिकारियों की नियुक्ति की देखरेख करना शामिल है। इसके अलावा, यह विभिन्न सरकारी सेवाओं और पदों के लिए भर्ती नियम बनाता और संशोधित करता है, अनुशासनात्मक मामलों की सुनवाई करता है और राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए मामलों पर सलाह देता है।